Chattries of Sindhiya dynasty
ग्वालियर की सिंधिया राजवंश की छत्रियां: इतिहास और स्थापत्य का संगम
ग्वालियर अपने गौरवशाली इतिहास और भव्य स्मारकों के लिए जाना जाता है। इन स्मारकों में से एक प्रमुख आकर्षण है सिंधिया राजवंश की छतरियां। ये छतरियां न केवल इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बल्कि स्थापत्य कला का एक शानदार नमूना भी हैं।
इतिहास की झलक:
सिंधिया राजवंश के शासकों ने 18वीं और 19वीं सदी में ग्वालियर पर राज किया। इस दौरान उन्होंने कई भव्य इमारतों का निर्माण करवाया, जिनमें ये छतरियां भी शामिल हैं। पहली छत्री का निर्माण 1817 ईस्वी में जयाजीराव सिंधिया की याद में किया गया था। इसके बाद अन्य शासकों जैसे दौलतराव सिंधिया, जीवाजीराव सिंधिया और जानकोजीराव सिंधिया की छतरियां भी बनवाई गईं।
ऐसा भी कहा जाता है कि यहां सबसे पुरानी छतरी महारानी गजराराजे सिंधिया की है ।
वर्तमान में यहां सबसे नई छतरी राजमाता माधवीराजे सिंधिया की होगी
स्थापत्य कला का सौंदर्य:
ये छतरियां ज्यादातर गुलाबी और सफेद पत्थरों से बनी हुई हैं। यह पत्थर राजस्थान से लाया गया था ।.इन छत्रियों की छतें गोल हैं और इनके ऊपर चोटीनुमा संरचनाएं बनी हुई हैं। दीवारों पर मराठा शैली की कलाकृतियां उकेरी हुई हैं, जिनमें हाथी, घोड़े और शेरों की आकृतियां प्रमुख हैं। कुछ छत्रियों में बड़े-बड़े तालाब भी हैं, जो इन छत्रियों की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। इसके अलावा परिसर में मंदिर भी है तथा यह एक बहुत अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य वाला स्थान है ।
विशेष महत्व
सिंधिया राजवंश की छतरियां सिर्फ पर्यटन स्थल ही नहीं हैं, बल्कि ये उस राजवंश के इतिहास और परंपराओं को भी दर्शाती हैं। इन छत्रियों में आज भी सिंधिया राज परिवार के पूर्वजों की प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। प्रतिदिन इन प्रतिमाओं को स्नान कराया जाता है, वस्त्र बदले जाते हैं और उनका पूजन किया जाता है।
कहां स्थित हैं ये छतरियां?
सिंधिया राजवंश की छतरियां ग्वालियर शहर के छत्री बाजार इलाके में स्थित हैं। छतरी बगीचे में प्रवेश का प्रमुख द्वारा महारानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय के सामने है। छतरी बगीचे के मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक सामने कटोरा ताल बना हुआ है। ग्वालियर जंक्शन से ये लगभग 5 किलोमीटर और ग्वालियर किले से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर हैं। ग्वालियर हवाई अड्डे से यह तकरीबन 12 किलोमीटर दूर है।
आपको कब जाना चाहिए?
ग्वालियर की यात्रा किसी भी मौसम में की जा सकती है, लेकिन अक्टूबर से मार्च के महीनों में यहां का मौसम सबसे सुहावना रहता है।
प्रवेश शुल्क
यह स्थान देखने के लिए प्रवेश शुल्क:-
व्यस्क व्यक्ति - 45₹
बच्चे - लगभग 30₹
विदेशी नागरिक - 150₹
सम्भावित हैं
तो देर किस बात की? ग्वालियर की यात्रा पर आएं और सिंधिया राजवंश की छतरियों के इतिहास और स्थापत्य कला को अपने करीब से देखें।
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