80 Khamba ki bavdi Gwalior

ग्वालियर किले का अस्सी खम्बा की बावड़ी: इतिहास और जल प्रबंधन का संगम

ग्वालियर किले की भव्य संरचनाओं के बीच अस्सी खम्बा की बावड़ी, इतिहास और जल प्रबंधन कौशल का एक अद्भुत उदाहरण है। इसे 80 खंभों की बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस विशाल बावड़ी का निर्माण 15वीं शताब्दी में राजा मान सिंह तोमर द्वारा करवाया गया था। 
अस्सी खम्बा की बावड़ी एक विशालकाय सीढ़ीनुमा कुंड है, जो नीचे की ओर जाने वाली सीढ़ियों से घिरा हुआ है। इन सीढ़ियों को कुल 80 खंभों द्वारा समर्थित किया गया है, यही कारण है कि इस बावड़ी को यह नाम दिया गया। बावड़ी की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की खूबसूरत नक्काशी देखी जा सकती हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ा देती हैं।
इतिहासकारों का मानना है कि इस बावड़ी का निर्माण सिर्फ धार्मिक कार्यों के लिए ही नहीं, बल्कि मुख्य रूप से किले में रहने वाले लोगों के लिए पानी का मुख्य स्रोत सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। ग्वालियर का किला एक पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ पानी की कमी एक बड़ी समस्या थी। यह बावड़ी वर्षा जल को संचित करने और लंबे समय तक पानी को संरक्षित रखने में सहायक थी।
बावड़ी के निर्माण में न केवल मजबूत पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, बल्कि जल संग्रहण तकनीक का भी शानदार प्रदर्शन किया गया है। कहा जाता है कि बावड़ी का निर्माण इतनी मजबूती से किया गया था कि सदियों बाद भी यह जल संरक्षण में अपनी भूमिका निभाती रही। 
आज भी, अस्सी खम्बा की बावड़ी ग्वालियर किले के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यह न केवल इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती है, बल्कि वास्तुकला और जल प्रबंधन तकनीक के अध्ययन में भी रुचि रखने वालों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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