Teli ka mandir Gwalior

ग्वालियर के छिपे हुए रत्न की यात्रा: तेली का मंदिर


ग्वालियर का किला ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है, जिनमें से एक अनूठा रत्न है - तेली का मंदिर। यह 9वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास बना हुआ माना जाता है, हालाँकि निर्माण काल को लेकर अभी भी इतिहासकारों में बहस है। अपने विवादस्पद इतिहास, अनोखी स्थापत्य शैली और अनसुलझे रहस्यों के कारण यह पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। आइए, इस लेख में टेली के मंदिर की यात्रा की योजना बनाते हैं, जिसमें इतिहास, वास्तुकला, घूमने का समय और टिकट की जानकारी शामिल है।

 इतिहास का झरोखा (A Glimpse into History)

तेली के मंदिर के निर्माण काल को लेकर मतभेद हैं। कुछ का मानना है कि इसकी नींव 8वीं शताब्दी ईस्वी में पड़ी थी, जबकि अन्य इसे 9वीं शताब्दी की शुरुआत का मानते हैं। निर्धारण में सहायता के लिए मंदिर के भीतर मिले छोटे शिलालेखों और कला शैली का अध्ययन किया जाता है। 

नामकरण की कहानी भी रहस्यमयी है। एक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर तेल व्यापारियों के समुदाय (तेली समाज) द्वारा बनवाया गया था। दूसरी ओर, कुछ इतिहासकारों का मत है कि यह नाम मंदिर के मूल उद्देश्य से जुड़ा हुआ है, जहाँ दीपों को जलाने के लिए भारी मात्रा में तेल का उपयोग होता था।

15वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और इसे शिव मंदिर के रूप में पुनर्स्थापित किया गया। हालांकि, कुछ विद्वानों का मानना है कि मूल रूप से यह जैन मंदिर था। उनकी दलील मंदिर के गर्भगृह में पाई गई कुछ तीर्थंकरों की मूर्तियों पर आधारित है। टेली के मंदिर से जुड़ा एक और रहस्य है गर्भगृह के ठीक नीचे स्थित एक गुप्त कक्ष का होना। किंवदंतियों के अनुसार, इस गुप्त कक्ष में कोई खजाना छुपाया हुआ है। हालांकि, पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा किए गए किसी भी उत्खनन में इस दावे को प्रमाणित नहीं किया जा सका है।

कलात्मक वैभव (Artistic Grandeur)

तेली का मंदिर की वास्तुकला गुर्जर-प्रतिहार और राष्ट्रकूट शैलियों का एक अद्भुत मिश्रण है। यह मंदिर एक आयताकार गर्भगृह के रूप में निर्मित है, जो हिंदू मंदिरों में अपेक्षाकृत असामान्य है। बाहरी दीवारें जटिल नक्काशियों से सुशोभित हैं। 
कुछ प्रमुख आकर्षण:

द्वार पर उकेरी गई गंगा और यमुना की मूर्तियां

भगवान शिव की अर्धनारीश्वर (आधा शिव, आधा पार्वती) की आकृति

मंदिर के शीर्ष भाग में त्रिशूल (शिव का शस्त्र) की आकृति





यात्रा की जानकारी (Visiting Information)

स्थान: ग्वालियर किला, ग्वालियर, मध्य प्रदेश

समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

टिकट:

भारतीय नागरिक: ₹20
 विदेशी पर्यटक: ₹200
कैसे पहुंचे:

आप ग्वालियर किले तक टैक्सी या रिक्शा का सहारा ले सकते हैं। ग्वालियर किले के अंदर जाने के लिए अलग से प्रवेश शुल्क देना होता है।
अतिरिक्त जानकारी:
1 मानसून के दौरान मंदिर की खूबसूरती और बढ़ जाती है।
2 ग्वालियर किले के अंदर ही सास-बहू का मंदिर और मन सिंह महल जैसे अन्य ऐतिहासिक स्थल भी स्थित हैं। आप इन्हें भी अपनी यात्रा में शामिल कर सकते हैं।

टेली का मंदिर इतिहास, कला और रहस्य का संगम है।

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