Karan mahal Gwalior

ग्वालियर दुर्ग का रहस्यमयी कर्ण महल

ग्वालियर दुर्ग के वैभव में शामिल है कर्ण महल,.कर्ण महल का निर्माण तोमर राजवंश के दूसरे शासक कीर्ति सिंह ने 1480 से 1486 ई के दौरान करवाया था । कीर्ति सिंह का दूसरा नाम कर्ण सिंह भी था । अतः निर्माण के नाम पर महल का नाम करण महल पड़ गया। यह महल यह महल विश्व हिंदू स्थापत्य शैली में निर्मित है। महल दो मंजिल एवं आयताकार है ।  दो मंजिलों वाले महल में निचली मंजिल के कमरों में पानी के निकास द्वार हैं, जो कभी पानी में डूबे रहने का संकेत देते हैं। 



महाराज कर्ण के नाम पर रखे जाने की मान्यता है, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं है। वहीं, जैन धर्म से जुड़े "कर्ण" शब्द से नाम जुड़ा होने का भी मत है। एक लोककथा तानसेन को इस महल में बंदी बनाकर रियाज कराने से जोड़ती है, पर ऐतिहासिक सत्यता नहीं है। वर्तमान में पर्यटकों के लिए खुला यह महल ग्वालियर के रहस्य और वैभव का साक्षी है।

महल के मध्य में पड़े स्तंभों पर आधारित एक आयताकार हॉल है जहां संभवतः राजा दरबार लगाया करते थे । महल के उत्तरी भाग में हमामखाना है तथा दूसरी मंजिल पर जाने के लिए जीना है ।

कर्ण महल का टिकट जहांगीर, विक्रम , शाहजहां महल के टिकट में ही सम्मिलित होता है, जिसका कुल खर्च 

20 रुपये भारतीय नागरिक
 तथा 200 रुपये विदेशी नागरिक
 के लिए निर्धारित है ।

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