Johar kund Gwalior
ग्वालियर किले का जौहर कुंड: इतिहास का एक मार्मिक अध्याय
ग्वालियर किले के भव्य स्मारकों के बीच एक ऐसा स्थल मौजूद है, जो वीरता और त्याग की मार्मिक कहानी कहता है - जौहर कुंड। यह कुंड उस ऐतिहासिक प्रथा का साक्षी है, जहाँ युद्ध में पराजय के भय से राजपूत महिलाएं अग्नि में कूदकर अपने सम्मान की रक्षा करती थीं।
हालांकि जौहर की सटीक तिथि अज्ञात है, माना जाता है कि 1232 ईस्वी में ग्वालियर के राजा के मुगल सुल्तान इल्तुतमिश से युद्ध हारने पर जौहर हुआ था। किंवदंतियों के अनुसार, किले की रानियों और महिलाओं ने जौहर कुंड में अग्नि प्रज्वलित कर उसमें कूदकर अपने सतीत्व की रक्षा की थी।
जौहर कुंड एक चौकोर कुंड है, जो सीढ़ियों से घिरा हुआ है। यह माना जाता है कि जौहर से पहले महिलाएं इसी कुंड में स्नान करती थीं। कुंड के पास ही जहाँगीर महल स्थित है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि शायद शाही परिवार से जुड़ी महिलाएं भी जौहर में शामिल रहीं होंगी।
हालांकि जौहर एक विवादास्पद प्रथा है, जौहर कुंड ग्वालियर के इतिहास का एक ऐसा हिस्सा है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। यह हमें उस युग की सामाजिक परिस्थितियों और वीरता के उस रूप के बारे में सोचने पर विवश करता है। आज जौहर कुंड एक स्मारक के रूप में खड़ा है, जो हमें अतीत की कहानियों को याद दिलाता है।
जौहर कुंड का टिकट करण विक्रम आदि महलों की साथ मिलता है जिसकी कीमत भारतीय नागरिक ₹20 तथा विदेशी नागरिक ₹200 है।
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