Gurudwara Data Bandi Chhod Gwalior fort

ग्वालियर किले का गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़: स्वतंत्रता का प्रतीक


ग्वालियर किले की ऐतिहासिक धरोहरों में गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ का विशेष स्थान है। यह गुरुद्वारा सिख इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा है और गुरुओं की शिक्षाओं - धर्म, करुणा और न्याय - का प्रतीक है। 




इतिहास की गवाही

17वीं शताब्दी की शुरुआत में मुगल बादशाह जहाँगीर के शासनकाल के दौरान गुरु हरगोबिंद सिंह जी, सिखों के छठे गुरु, को गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें अन्य 52 राजपूत राजाओं के साथ ग्वालियर किले में कारावास में रखा गया था। लगभग दो साल और तीन महीने तक गुरु हरगोबिंद सिंह जी किले में रहे। 

कहा जाता है कि जहाँगीर को एक सपना आया जिसमें एक फकीर बार-बार गुरु हरगोबिंद सिंह जी को रिहा करने का आग्रह कर रहा था। इस सपने के बाद, जहाँगीर ने गुरु जी को रिहा करने का आदेश दिया। किंतु गुरु जी ने अकेले रिहा होने से इंकार कर दिया और अपने साथ सभी 52 राजपूत राजाओं की रिहाई की मांग की। उनकी दयालुता और न्याय के सिद्धांतों से प्रभावित होकर, जहाँगीर ने अंततः सभी को रिहा कर दिया।

इन घटनाओं के उपलक्ष्य में ही गुरुद्वारे का नाम "दाता बंदी छोड़" पड़ा, जिसका अर्थ है "दाता (दान देने वाला) जिसने बंदी (कैद) छोड़ी"। यह गुरुद्वारा 17वीं शताब्दी में उसी स्थान पर बनाया गया था, जहाँ गुरु हरगोबिंद सिंह जी ठहरे थे।

गुरुद्वारे का स्वरूप

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ एक शांत और सुंदर परिसर है। मुख्य भवन में गुरु ग्रंथ साहिब, सिखों के पवित्र ग्रंथ की रखी हुई है। गुरुद्वारे में संगत कीर्तन और प्रार्थना करती है। परिसर में एक संग्रहालय भी है, जिसमें गुरु हरगोबिंद सिंह जी के जीवन और सिख इतिहास से जुड़ी वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।


सिखों के लिए महत्व

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह गुरु हरगोबिंद सिंह जी की दयालुता, बलिदान और न्याय के संघर्ष का प्रतीक है। हर साल बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु गुरुद्वारे में माथा टेकने और गुरुओं के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए आते हैं।

ग्वालियर की धार्मिक विविधता का प्रतीक

ग्वालियर किले में स्थित यह गुरुद्वारा धार्मिक सहिष्णुता और विविधता का भी प्रतीक है। यह विभिन्न धर्मों और समुदायों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का एक उदाहरण है। 

ग्वालियर की यात्रा के दौरान गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ निश्चित रूप से देखने योग्य स्थल है। यह इतिहास प्रेमियों और आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों दोनों को ही आकर्षित करता है।

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