Chaturbhuj mandir Gwalior

किले के प्रांगण में स्थित है एक अनूठा मंदिर - चतुर्भुज मंदिर। यह मंदिर न केवल भगवान विष्णु को समर्पित एक धार्मिक स्थल है, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व, स्थापत्य शैली और गणित जगत से जुड़े रहस्य के लिए भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। 
समय के पन्नों में छिपा इतिहास : (History Lost in the Pages of Time)

चतुर्भुज मंदिर के निर्माण काल को लेकर इतिहासकारों में एकमत नहीं है। माना जाता है कि इसका निर्माण 9वीं शताब्दी ईस्वी (लगभग 875-876 ईस्वी) में हुआ था। मंदिर की एक दीवार पर पाए गए शिलालेख से इसी कालखंड की ओर संकेत मिलता है। शिलालेख में "संवत् 933" अंकित है, जिसे ईस्वी सन में 876 माना जाता है। 

नामकरण की कथा: (The Story Behind the Name)

मंदिर के नाम "चतुर्भुज" के पीछे भी एक रोचक कहानी है। "चतुर्भुज" का अर्थ होता है "चार भुजाओं वाला।" माना जाता है कि यह नाम भगवान विष्णु की चार भुजाओं के आधार पर रखा गया है, जिन्हें चतुर्भुज विष्णु के रूप में पूजा जाता है। 
दूसरी ओर, कुछ विद्वानों का मानना है कि यह नाम मंदिर की स्थापत्य कला से जुड़ा हुआ है। मंदिर के मुख्य द्वार पर चार खंभे हैं, जो संभवतः "चतुर्भुज" नामकरण का कारण बने।

कलात्मक वैभव: (Architectural Grandeur)

चतुर्भुज मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली में निर्मित है। यह मंदिर एक शिखर के साथ एक वर्गाकार गर्भगृह के रूप में निर्मित है। प्रवेश द्वार पर चार खंभों वाला एक मंडप है, जिसके खंभों पर योगासन में बैठे हुए व्यक्तियों की आकृतियां उकेरी हुई हैं।
मंदिर की दीवारों पर भी देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी हुई हैं। गर्भगृह में भगवान वराह (विष्णु का अवतार) और चार सशस्त्र विष्णु की प्रतिमाएं विराजमान हैं। साथ ही, एक दीवार पर चार भुजाओं वाली देवी लक्ष्मी की नक्काशी भी देखी जा सकती है । इसके अलावा नृत्य गणेश , कार्तिकेय , पंचाग्नि पार्वती, नवग्रह, विष्णु , त्रिविक्रम आदि का अंकन प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है। मंदिर के मुख मंडप के आंतरिक भाग से ऊपर की ओर कृष्ण लीला से संबंधित विभिन्न दृश्यों को उकेरा गया है ।





गणित जगत से जुड़ा रहस्य: (A Mystery Connected to the World of Mathematics)

चतुर्भुज मंदिर को वैश्विक पहचान दिलाने वाला सबसे महत्वपूर्ण पहलू है गणित से जुड़ा इसका रहस्य। मंदिर की एक दीवार पर पाए गए शिलालेख में "0" अंक का प्रयोग किया गया है। यह शिलालेख 876 ईस्वी का है, और माना जाता है कि यह शून्य के सबसे पुराने ज्ञात अभिलेखों में से एक है। 
 चतुर्भुज मंदिर का शिलालेख भारतीय गणित और शून्य के विकास के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।

वर्तमान स्वरूप और पर्यटक सूचना :(Current Status and Tourist Information)

वर्तमान में चतुर्भुज मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के संरक्षण में है। यह अब सक्रिय पूजा स्थल के रूप में उपयोग में नहीं है, लेकिन इतिहास और स्थापत्य कला में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है।

Comments

Popular Posts