Barood Khana Gwalior fort
ग्वालियर दुर्ग का बारूद खाना - इतिहास की गूंज
ग्वालियर दुर्ग की भव्य संरचनाओं में से एक, बारूद खाना, अपने नाम के अनुरूप ही किले के गोला-बारूद भंडार के रूप में कार्य करता था। हालांकि, इसका निर्माण अंग्रेजों द्वारा किया गया था, जो 18वीं शताब्दी के अंत में ग्वालियर पर अधिकार कर बैठे थे।
बारूद खाना यूरोपीय शैली में निर्मित एक विशाल भवन है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस इमारत में बारूद के सुरक्षित भंडारण के लिए कई विशेष डिजाइन अपनाए गए थे। इनमें हवादार कमरे, मोटी दीवारें और आग से बचाव के लिए खास प्रबंध शामिल थे।
बारूद खाना सिर्फ एक गोला-बारूद भंडार ही नहीं था, बल्कि यह ब्रिटिश सैन्य शक्ति का भी प्रतीक था। यह किले की सुरक्षा व्यवस्था का एक अहम हिस्सा था। आज भले ही बारूद भंडार के रूप में इसका उपयोग बंद हो चुका है, लेकिन ये भव्य भवन ग्वालियर के इतिहास में ब्रिटिश शासन की छाप को दर्शाता है।
अगर आप ग्वालियर दुर्ग घूमने जा रहे हैं, तो बारूद खाना को जरूर देखें। यह न सिर्फ भव्य वास्तुकला का उदाहरण है, बल्कि ग्वालियर के इतिहास की एक रोचक कहानी भी बयां करता है।
इसका टिकट कर्ण विक्रम आदि महलों के साथ शामिल है, इसकी कीमत भारतीय व्यक्ति के लिए 20 रुपये और विदेशी लोगों के लिए 200 रुपये है।
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