Tomb of Mohammad Ghaus

ग्वालियर का छिपा हुआ रत्न: मोहम्मद गौस का मकबरा

ग्वालियर अपने शानदार किलों और ऐतिहासिक स्मारकों के लिए जाना जाता है, लेकिन शहर के बीचों-बीच एक ऐसा खजाना छिपा हुआ है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं - मोहम्मद गौस का मकबरा। यह न सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि मुगल वास्तुकला और आध्यात्मिक श्रद्धा का संगम भी है। आइए, मोहम्मद गौस के मकबरे के इतिहास, स्थापत्य कला और अन्य रोचक जानकारियों पर विस्तार से नज़र डालें:





इतिहास का धरोहर:

मोहम्मद गौस, एक प्रसिद्ध सूफी संत और संगीत के विद्वान थे। वह 16वीं शताब्दी में मुगल शासनकाल के दौरान ग्वालियर में रहते थे। इतिहासकारों के अनुसार, मुगल सम्राट बाबर से लेकर अकबर तक, सभी उन्हें बहुत सम्मान देते थे। यहां तक ​​कि यह भी कहा जाता है कि उन्होंने बाबर को ग्वालियर किले को जीतने में मदद की थी। मोहम्मद गौस 1550 ईस्वी के आसपास गुजरे और उनके मकबरे का निर्माण भी उसी समय के आसपास हुआ माना जाता है।


कलात्मक स्थापत्य:

मोहम्मद गौस का मकबरा अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन मुगल वास्तुकला की शान का एक सुंदर उदाहरण है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह मकबरा अपनी सादगी और सौम्यता के लिए जाना जाता है। मकबरे में एक वर्गाकार चबूतरा है, जिसके ऊपर एक गुंबदनुमा छतरी बनी हुई है। चारों तरफ दीवारें हैं, जिनमें मेहराबों और जालीदार खिड़कियों का इस्तेमाल किया गया है। यह न सिर्फ सौंदर्य का तत्व जोड़ता है, बल्कि हवादार वातावरण भी बनाता है।

अन्य रोचक जानकारियां:

संगीत सम्राट तानसेन का संबंध: कहा जाता है कि मोहम्मद गौस, तानसेन के गुरु थे। तानसेन को संगीत का ज्ञान मोहम्मद गौस से ही प्राप्त हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि तानसेन का मकबरा भी मोहम्मद गौस के मकबरे के ठीक बगल में स्थित है।

पर्यटन स्थल के रूप में विकास: हालांकि मोहम्मद गौस का मकबरा ग्वालियर के प्रसिद्ध स्मारकों की तुलना में कम जाना जाता है, लेकिन पर्यटन विभाग इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहा है।


कैसे पहुंचें और प्रवेश:

मोहम्मद गौस का मकबरा ग्वालियर शहर के बीचों-बीच हजीरा क्षेत्र में स्थित है। आप टैक्सी, रिक्शा या ऑटो रिक्शा लेकर आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। मकबरा आम जनता के लिए सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। प्रवेश शुल्क बहुत कम है, जो वर्तमान में लगभग न के बराबर है।
मोहम्मद गौस का मकबरा इतिहास, आध्यात्मिकता और स्थापत्य कला के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। ग्वालियर आने वाले पर्यटक, खासकर इतिहास प्रेमी और शांत वातावरण के इच्छुक लोग, जरूर यहां जाएं। यह आपको इतिहास की एक झलक दिखाने के साथ-साथ शांति का अनुभव प्रदान करेगा।

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